अगर कोई व्‍यक्ति आपके खिलाफ पुलिस स्‍टेशन में झूठी शिकायत एफआईआर (FIR) लिखवा दें तो क्‍या करें


fake FIR
गर कोई व्‍यक्ति आपके खिलाफ पुलिस स्‍टेशन में झूठी शिकायत एफआईआर (FIR) लिखवा दें तो क्‍या करें


हमारे भारत देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो कानून का दुरुपयोग करना बहुत अच्छी तरह जानते हैं कई बार आपने पढ़ा या सुना होगा  कि किस तरह लोगों को झूठी रिपोर्ट लिखाकर उन्हें फंसाने और परेशान करने का काम किया जाता है क्योंकि आज के समय में देखा गया है कि कोई भी अनजान व्‍यक्ति किसी दूसरे व्‍यक्ति के खिलाफ है।
झूठी FIR लिखवा कर उसे किसी गलत इल्जाम में फंसाना चाहता है। और वह इल्जाम उस पर झूठा लगाया जाता है। जबकि उसने कभी उस काम को किया भी नहीं होगा। और इस झूठे केस के कारण आपको अपना पैसा ,समय, इज्जत इन सभी का नुकसान उठाना पड़ता है । यदि आपके साथ भी कभी ऐसा होता है तो आप किस तरह से बच सकते हैं। उसके बारे में आपको मैं इस पोस्‍ट के द्वारा कुछ बातें बता रहा हूं जिससे कि आप अपनी गिरफ्तारी का वारंट भी रुकवा सकते हैं और आप के खिलाफ पुलिस जो छानबीन कर रही है। उसको भी रुकवा सकते हैं। यदि आपके साथ भविष्‍य में भी ऐसा होता है तो आप किस तरह से बच सकते हैं।  जिससे कि आप अपनी गिरफ्तारी का वारंट भी रुकवा सकते हैं और आप के खिलाफ पुलिस जो छानबीन कर रही है। उसको भी रुकवा सकते हैं ।
 
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 482 में इस तरह के मामलों को चैलेंज करने का प्रावधान किया गया है. यदि किसी ने आपके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी है तो इस धारा का इस्तेमाल किया जा सकता है!
आईपीसी की धारा 482 के तहत जिस व्यक्ति के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है उसे हाईकोर्ट से राहत मिल सकती है तब आप कोर्ट के जरिए इस मामले में आपके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं होगी पुलिस को अपनी कार्रवाई रोकनी होगी.

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भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 482 क्‍या है

इस धारा के अंतर्गत अपने एडवोकेट/वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में प्रार्थनापत्र लगाया जा सकता है  इस प्रार्थना पत्र के जरिए आप अपनी बेगुनाही के सबूत दे सकते हैं आप अपने एडवोकेट/वकील के माध्यम से एविडेंस तैयार कर सकते हैं ! आपको यह ध्यान रखना जरूरी हैं कि आपके पास उस झूठी शिकायत के खिलाफ किसी भी तरह का कोई सबूत है जैसे की ऑडियो रिकॉर्डिंग ,वीडियो रिकॉर्डिंग ,कोई कागजात ,फोटोग्राफ्स ,या कोई दूसरा ऐसा सबूत जो आप को बेगुनाह साबित कर सकता है अगर आपके पक्ष में कोई गवाह है तो उसका जिक्र जरूर करें 
आप हाईकोर्ट से अपनी निष्पक्ष जांच की मांग कर सकते हैं। अगर आप किसी भी सुबूत को एप्लीकेशन के साथ लगाते हैं तो उसके बाद आपकी तुरंत निष्पक्ष जांच की कार्यवाही शुरु हो जाएगी। यदि आप के खिलाफ किसी भी तरह की जैसे मारपीट। बलात्कार, चोरी, छेड़छाड़,  जान से मारने की धमकी या किसी भी चीज के बारे में झूठी शिकायत दर्ज करवाई गई है तो आप हाई कोर्ट में धारा 482 के अनुसार अपने एडवोकेट/वकील के माध्यम से एक एप्लीकेशन देंगे और अपने खिलाफ हो रही पुलिस कार्यवाही या गिरफ्तारी के बारे में बताएंगे और इसके बाद हाईकोर्ट आपकी गिरफ्तारी और आप के खिलाफ पुलिस कार्रवाई दोनों को तुरंत रुकवा देगा।
जब ये मामला कोर्ट के सामने आता है और उसे लगता है कि आपने जो सबूत दिए हैं वो आपके पक्ष को मजबूत बनाते हैं तो पुलिस को तुरंत कार्रवाई रोकनी होगी. जिससे आपको झूठी रिपोर्ट लिखाने के मामले में राहत मिल जाएगी

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गिरफ्तार नहीं करेगी पुलिस

यदि किसी भी मामले में आपको षडयंत्र करके फंसाया गया है तो हाईकोर्ट में अपील की जा सकती है हाईकोर्ट में केस चलने के दौरान पुलिस आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती. इतना ही नहीं अगर आपके खिलाफ वारंट भी जारी होता है तो आप खुद को गिरफ्तार होने से बचा सकते हैं इस मामले में आपकी गिरफ्तारी भी नहीं होगी

इस स्थिति में भी आपको  अपने एडवोकेट/वकील के जरिए ही  हाईकोर्ट की शरण में जाना होगा. अगर हाई कोर्ट आपके प्रार्थना पत्र पर गौर करती है तो केस चलने के दौरान आपको गिरफ्तार नहीं किया जा सकता कोर्ट जांच अधिकारी को जांच के लिए जरूरी दिशा-निर्देश भी दे सकती है इस तरह के मामलों में जब तक हाई कोर्ट में धारा 482 के अनुसार मामला चलता रहता है। तो पुलिस आपके खिलाफ कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती है। और आपको गिरफ्तार भी नहीं कर सकती है। इतना ही नहीं यदि आप के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हो चुका है। तो भी वह वारंट तुरंत रोक दिया जाएगा। और जब तक हाईकोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आता है। तब तक आप के ऊपर कोई भी पुलिस कार्रवाई या कोई भी गिरफ्तारी नहीं होगी।
किस तरह से आप अपने खिलाफ हो रही झूठी कार्रवाई या गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं। और इसको रुकवा सकते हैं तो आज हमने आपको इस पोस्ट में एक बहुत ही बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी बताई शायद इस तरह की घटना आपके आसपास हर रोज होती होगी तो आप उन लोगों को भी इस जानकारी के बारे में जरूर बताएं।

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अगर आप अपनी कानूनी समास्‍या का समाधान ढूंढ रहे है
इंटरनेट या सोशल मीडिया एक एडवोकेट/वकील नही है न ही आप है। अपने कानूनी समास्‍या के बारे में एक वास्‍तविक एडवोकेट/वकील से जरूर  संपर्क करे



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By ….
Ashok Kumar Singh, Advocate
            (Criminal & Accident Claim)  




                                   


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